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बर्लिन की 1878 ई. की संधि क्या थी? | Treaty of Berlin 1878 in Hindi

इस लेख में बर्लिन की संधि (Treaty of Berlin 1878 in Hindi) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है। 


Treaty of Berlin 1878 in Hindi


बर्लिन की 1878 ई. की पृष्ठभूमि - Treaty of Berlin 1878 in Hindi

बर्लिन की संधि के लिए निम्नलिखित घटनाएँ उत्तरदायी थी -

1. बाल्कन क्षेत्र में असंतोष 

1856 ई. की पेरिस की संधि भी पूर्वी समस्या (बाल्कन क्षेत्र की समस्या) का समाधान नहीं कर सकी। पेरिस की संधि के अंतर्गत तुर्की के सुल्तान ने बिना किसी भेदभाव के अपनी ईसाई प्रजा की दशा सुधारने का वादा दिया था परन्तु उसने इस विषय में कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाए। अतः तुर्की की निरंकुशता, निर्दयता और भ्रष्टचारिता से सामान्य जनता का जीवन अत्यंत कष्टप्रद बना हुआ था। गैर-तुर्कों का शोषण किया जाता था और उनके धर्म, संस्कृति और भाषा की उपेक्षा की जाती थी। ऐसी स्थिति में बाल्कन क्षेत्र में तीव्र असंतोष था। 


2. बोस्निया और हर्जगोविना का विद्रोह

1875 में बोशनिया और हर्जगोविना की जनता ने अत्यधिक करो के विरोध में विद्रोह कर दिया। 


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3. बल्गारिया का हत्याकांड

1876 में बल्गारिया ने भी तुर्की के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। परंतु तुर्क सैनिकों ने बल्गारिया के विद्रोहों का क्रूरता से दमन किया और हजारों बल्गारियान लोगों की हत्या कर दी। इसी समय सर्बिया और मोंटेनीग्रो ने भी तुर्की के विरुद्ध विद्रोह कर दिया जिससे स्थिति और भी अधिक गंभीर हो गई। अतः बाल्कन समस्या पर विचार करने के लिए कुस्तुनतुनिया में यूरोपीय शक्तियों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में इंग्लैंड ने भी तुर्की के सुल्तान को सुधार करने की सलाह दी। जब सुल्तान ने इस विषय पर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया तो रूस ने अकेले ही तुर्की को दंडित करने की योजना बनाई। 


4. रूस और तुर्की का युद्ध 

24 अप्रैल, 1877 को रूस ने तुर्की के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। रूसी सेना ने तुर्की सेना को अनेक स्थानों पर पराजित किया। निरंतर पराजयों के कारण तुर्कि सेना ने हथियार डाल दिए। 3 मार्च, 1878 को तुर्की ने बाध्य होकर सेनस्टीफेनो की संधि स्वीकार कर ली। 


5. सेनस्टीफेनो की संधि से असंतोष 

सेनस्टीफेनो की संधि रूस की भारी विजय थी। इसके परिणामस्वरुप तुर्की का साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया और बाल्कन क्षेत्र में रूस का प्रभाव सर्वोपरि हो गया। परंतु इंग्लैंड और ऑस्ट्रिया ने सेनस्टीफेनो की संधि का विरोध किया। इंग्लैंड ने सेनस्टीफेनो की संधि को पेरिस की संधि का उल्लंघन माना। इस आधार पर संधि पर पुनर्विचार करने के लिए यूरोपियन राज्यों ने एक सम्मेलन की मांग की। रूस ने बाध्य होकर सेनस्टीफेनो की संधि पर पुनर्विचार के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मांग स्वीकार कर ली। 


बर्लिन सम्मेलन और बर्लिन की संधि - Berlin Congress and Treaty of Berlin 1878 in Hindi

13 जून, 1878 को बर्लिन का सम्मेलन प्रारंभ हुआ। इसमें ऑस्ट्रिया, रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, फ्रांस, तुर्की आदि देश सम्मिलित हुए। बिस्मार्क को सम्मेलन का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। पर्याप्त विचार-विमर्श के पश्चात उपस्थित प्रतिनिधियों ने 13 जुलाई, 1878 को एक संधि पर हस्ताक्षर कर दिए जिसे बर्लिन संधि के नाम से जाना जाता है। 


बर्लिन संधि की शर्तें 

  1. सर्बिया, मोंटेनीग्रो और रूमानिया की स्वतंत्रता स्वीकार कर ली गई। 
  2. वृहत्तर बल्गारिया को तीन भागों में विभाजित कर दिया गया। पहला भाग बल्गारिया का राज्य था जिसे तुर्की के अधीन मान लिया गया। पूर्वी रोमानिया को पुनः तुर्की क अधीन कर दिया गया, परंतु वहां ईसाई गवर्नर नियुक्त करने की व्यवस्था की गई। वृहत्तर बल्गारिया का तीसरा भाग मेसिडोनिया तुर्की को हस्तांतरित कर दिया गया। 
  3. बोस्निया और हर्जगोविना भी नाममात्र के लिए तुर्की के अधीन रहे। परन्तु इनके प्रशासन का उत्तरदायित्व ऑस्ट्रिया को दे दिया गया। 
  4. रूस को अर्डहान, बाटुम और कार्स के प्रदेश मिले। उसे दो दोब्रुजा के बदले में रूमानिया से बेसराबिया प्राप्त हुआ। 
  5. इंगलैण्ड को तुर्की से साइप्रस का टापू प्राप्त हुआ। 
  6. तुर्की को अल्बानिया और मेसीडोनिया का क्षेत्र पुनः प्राप्त हो गया। थेसेली और एपिरस पर भी उसका अधिकार बना रहा। 
  7. रूमानिया को बेसराबिया का प्रदेश रूस को देना पड़ा और उसके बदले में उसे दोबुजा का प्रदेश प्राप्त हुआ। 
  8. तुर्की के सुल्तान ने क्रीट, एपिरस, थेसेली और अल्बानिया में सुधार करने और अपने अधीन ईसाई प्रजा को स्वतंत्रता प्रदान करने का आश्वासन दिया। 


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