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राष्ट्रवाद क्या है? तथा यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय | Rashtravad Kise Kahate Hain?

विश्व इतिहास के इस लेख में एक महत्वपूर्ण विचारधारा 'Rashtravad' (Nationalism in Hindi) के बारे में जानकारी दी गई है। इस लेख में हम जानेंगे की Rashtravad Kise Kahate Hain? तथा Europe Mein Rashtravad Ka Uday कैसे हुआ?


Rashtravad Kise Kahate Hain

Rashtravad Kise Kahate Hain? - Nationalism in Hindi 

राष्ट्रवाद (Nationalism) एक ऐसी भावना है जो प्रायः उन लोगों में पाई जाती हैं जो एक ही भौगोलिक क्षेत्र के निवासी हो। यह भावना ही उन्हें एकता और भाईचारे के सूत्र में बांधती है। यही भावना एक जाति या वंश से संबंधित होने के कारण लोगों में एक भाषा, इतिहास, धर्म तथा राजनीतिक सिद्धांतों में विश्वास के लिए प्रेरित करती है। संक्षेप में कहे तो "राष्ट्रवाद मस्तिष्क की वह अवस्था है जिसमें व्यक्ति की श्रेष्ठ निष्ठा उसके राष्ट्रीय-राज्य के प्रति होती है"। 


19वीं शताब्दी में यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अनेक देशों में राष्ट्रवाद की भावना का उदय हुआ। आयरिश राष्ट्रवाद, मिस्र का राष्ट्रवाद और भारत का राष्ट्रवाद विदेशी साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक प्रतिक्रिया के रूप में उभरा जिसने सारे विश्व को प्रभावित कर दिया। 


Europe Mein Rashtravad Ka Uday - The rise of nationalism in Europe

अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम और फ्रांस की क्रांति ने यूरोप में एक नवीन विचारधारा का संचार किया। प्रतिक्रियावादी सम्राट एवं मैटरनिख जैसे राष्ट्रवादी विरोधी स्वतंत्रता, समानता एवं राष्ट्रीय भावना को अधिक समय तक दबा कर नहीं रख सके। नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोपियन मानचित्र को उथल-पुथल कर राष्ट्रीय भावनाओं को ही जागृत किया। वियना सम्मेलन एवं यूरोप की संयुक्त व्यवस्था के द्वारा भी 19वीं शताब्दी की नवीन विचारधारा - लोकतंत्र, उदारवाद एवं राष्ट्रीयता को दबाने का असफल प्रयत्न किया। जहाँ एक ओर प्रतिक्रियावादी शक्तियां प्रगतिवादी विचारधारा का दमन करने में संलग्न थी, उससे अधिक तीव्र प्रगति से फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, पुर्तगाल, पोलैंड व यूनान आदि देशों में राष्ट्रवादी एवं सुधारवादी विचार फैलते जा रहे थे। 


19वीं शताब्दी के प्रारंभ में साहित्य व कला में स्वच्छंदतावाद पनपने लगा जो की राष्ट्रीयता का पोषक था। शैली, बायरन, कीटस, नोवालिस, गेटे, ह्यूजो, पुश्किन आदि साहित्य की नवीन धारा के प्रतीक थे। 


अतः 1815 ई. के बाद यूरोप में प्रतिक्रियावादी अनुदार, रूढ़िवादी, कुलीन, निरंकुश शासन के समर्थक थे। वहीं  परिवर्तनवादी एवं प्रगतिवादी मध्यवर्गीय व्यापारी, साहित्यकार आदि बुद्धिजीवी संविधानवाद एवं लोकतंत्र के समर्थक थे। 


1848 ई. तक विभिन्न देशों में क्रांतिकारी आंदोलन हुए। बेल्जियम और यूनान में ही राष्ट्रीयता की विजय हो सकी। निरंकुश शक्तियों के शासनाधिकार एवं सैन्य बल प्रगतिवादी शक्तियों को नष्ट नहीं कर सके। यूरोप के विभिन्न देशों में क्रांतियाँ होती रही। अतः 19वीं शताब्दी राष्ट्रीयता के विचारों के प्रवाह की शताब्दी कही जाती है। 1830 ई. में हुई फ्रांसीसी क्रांति के निम्नलिखित प्रभाव हुए -

1. फ्रांस 

फ्रांस में बुर्बों वंश का शासन खत्म हुआ और लोकप्रिय प्रभुसत्ता की स्थापना हुई। यद्धपि कट्टर गणतंत्रवादियों को निराश होना पड़ा और संवैधानिक राजतंत्र को स्वीकार करना पड़ा। यूरोप के अन्य राज्यों के लिए यह प्रभावकारी सिद्ध हुई। 


2. यूनान 

फरवरी, 1830 ईस्वी में यूनान को स्वतंत्र राज्य बना दिया गया। दीर्घकालीन संघर्ष के बाद यूनानियों ने निरंकुश व अत्याचारी तुर्की शासन से मुक्ति पाई। इसने राष्ट्रीयता की भावना की विजय का प्रबल प्रमाण प्रस्तुत किया। 


3. बेल्जियम 

जनवरी, 1831 में बेल्जियम को भी लंबे संघर्ष के बाद स्वतंत्रता प्रदान की गई। 


4. जर्मनी 

जर्मनी के 39 राज्यों के संघ में मैटरनिख का प्रभाव बना रहा लेकिन अनेक राज्यों में 1830 ई. के क्रांतिजनित विचारों के प्रभावों से उदारवादी विचारों का प्रसार हुआ। जो की एकीकरण हेतु मार्ग प्रशस्त करता रहा। 


5. इटली 

1830 ई. की क्रांति ने इटली के लोगों की देशभक्ति को प्रज्वलित किया। पारमा, मेडोना, टस्कनी एवं पोप के राज्यों में विद्रोह हुए। मैजिनी जैसे देशभक्त का उदय हुआ। 


6. पोलैंड

पोलैंड में राष्ट्रवादी क्रांति हुई लेकिन विदेशी सहायता के अभाव में असफल रही। 


7. इंग्लैंड 

1830 ई. के बाद इंग्लैंड में संसदीय सुधारों से जन प्रतिनिधित्व एवं मतदान अधिकार में वृद्धि हुई। 1848 ई. के बाद इंग्लैंड में भी चार्टिस्ट आंदोलन हुआ, यद्धपि वह असफल रहा। 


8. फ्रांस 

1843 ईस्वी में एक आकस्मिक क्रांति ने लुई फिलिप के शासन को समाप्त कर गणतंत्र की स्थापना कर दी जो अंततः बोनापार्ट समर्थकों की विजय में बदली। नेपोलियन तृतीय, द्वितीय गणतंत्र का प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचित हुआ। 


9. ऑस्ट्रिया 

1848 ईस्वी में मैटरनिख का पतन हुआ। सम्राट फर्डिनेंड को भी भागना पड़ा और आस्ट्रिया में नवीन संविधान स्वीकृत हुआ। 


10. हंगरी 

1848 ईस्वी में हंगरी में भी मग्यार राष्ट्रीयता की विजय हुई। 


11. इटली 

ऑस्ट्रिया के प्रभावी प्रदेशों में नेपल्स, मिलान, टस्कनी एवं वेनिस में विद्रोह हुए और उदारवादी संविधान स्वीकार हुए। 


12. प्रशा

जर्मन संघ में नवीन संविधान स्वीकार कर विलियम चतुर्थ की नीति में परिवर्तन करना पड़ा। 


इटली का एकीकरण और जर्मनी का एकीकरण 19वीं शताब्दी की राष्ट्रीय भावनाओं का ही परिणाम माना जाता है। यही नहीं इस यूरोपीय राष्ट्रीयता ने विश्व के अन्य देशों में भी इस नवीन प्रगतिवादी विचारधारा का प्रसार किया। अतः 19वीं शताब्दी राष्ट्रीयता की शताब्दी मानी जाती हैं। 


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