वर्साय की संधि (1919) क्या थी?
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात युद्ध में हारने वाले देशों अर्थात केंद्रीय शक्तियों (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया आदि) के साथ कई संधियाँ की गई। इस लेख में जर्मनी के साथ की गई Varsay Ki Sandhi के बारे में जानकारी दी गई है। Varsay Ki Sandhi एक बहुत ही अपमानजनक संधि थी जिसने आगे चलकर जर्मनी में नाजीवाद, इटली में फासीवाद तथा द्वितीय विश्व युद्ध आदि की नींव रखी।
Paris Shanti Sammelan - The Paris Peace Conference
प्रथम महायुद्ध 11 नम्बर 1918 को समाप्त हुआ। इस भीषण युद्ध की समाप्ति पर सबसे बड़ा और जटिल प्रश्न शांति की स्थायी व्यवस्था करना था। अतः इस समस्या पर विचार करने के लिए पेरिस में एक शांति सम्मेलन आयोजित करने का निश्चय किया गया। शांति सम्मेलन का प्रथम पूर्ण अधिवेशन 18 जनवरी 1919 को प्रारंभ हुआ जिसमें 32 राष्ट्रों के 70 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
Varsay Ki Sandhi
चार महीने के अनवरत परिश्रम के बाद 6 मई 1919 को संधि का अन्तिम प्रारूप तैयार हुआ। 7 मई को संधि का प्रारूप जर्मनी के प्रतिनिधियों को दे दिया गया और उस पर विचार करने के लिए उन्हें तीन सप्ताह का समय दिया गया। जर्मनी के प्रतिनिधियों ने संधि की शर्तों को अत्यंत कठोर बतलाया और शर्तों में संशोधन करने की मांग की परंतु उनका अनुरोध ठुकरा दिया गया। अतः मित्र राष्ट्रों के भारी दबाव के सामने जर्मन प्रतिनिधियों को झुकना पड़ा और उन्होंने 28 जून 1919 को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर कर दिये।
वर्साय की संधि की प्रमुख व्यवस्थाएं
1. प्रादेशिक व्यवस्थाएं
- जर्मनी ने अल्सास तथा लोरेन के प्रदेश फ्रांस को लौटा दिये।फ्रांस को 15 वर्ष तक सार कोयले की खानों का उपयोग करने का अधिकार दिया और सार के शासन प्रबंधन का भार राष्ट्र संघ को सौंपा गया।
- यूपेन तथा माल्मेडी के प्रदेश बेल्जियम को दिये गये।
- जनमत द्वारा शलेसविग का उत्तरी भाग डेनमार्क को तथा दक्षिणी भाग जर्मनी को प्राप्त हुआ।
- पोसैन तथा पश्चिम प्रशा पोलैंड को समुद्र तट तक पहुँचने के लिए मार्ग दिया गया। जर्मनी को डैंजिग का बंदरगाह राष्ट्र संघ को देना पड़ा।
- मेमल का बन्दरगाह जर्मनी से लिथुआनिया को दिया गया।
- अपर साइलेशिया को जर्मनी तथा पोलैंड में बांट दिया गया।
- जर्मनी के उपनिवेश छीन लिए गए तथा वे संरक्षण प्रणाली के आधार पर मित्र देशों में बांट दिये गये।
- पोलैंड को बाल्टिक सागर तक पहुंचने के लिए पश्चिमी प्रशा में से होकर एक गलियारा दिया गया।
2. सैनिक व्यवस्थाएं
- जर्मनी में अनिवार्य सैनिक सेवा पद्धति समाप्त कर दी गई।
- जर्मनी की थल सेना एक लाख तक सीमित कर दी गई।
- जर्मनी पर विनाशकारी हथियारों के अधिक मात्रा में निर्माण करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- जर्मनी का जहाज़ी बेड़ा सीमित कर दिया गया। वह नये युद्धपोत नहीं बनायेगा। उसकी जल सेना 15 हजार तक सीमित कर दी गई।
- जर्मनी वायुसेना नहीं रख सकता था।
- जर्मनी को नये लडाकू जहाज बनाने अथवा बाहर से प्राप्त करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वह 6 युद्धपोत, 6 हल्के क्रूज़र तथा डेस्ट्रायर से अधिक नहीं रख सकेगा।
- जर्मनी 12 पनडुब्बियों से अधिक नहीं रख सकेगा।
- राइन नदी के पूर्वी तट पर जर्मनी को किलाबन्दी करने की आज्ञा नहीं दी गई। राइन नदी के पश्चिमी तट पर 50 किलोमीटर का क्षेत्र विसैनीकृत घोषित कर दिया गया।
3. आर्थिक व्यवस्थाएं
- जर्मनी पर युद्ध के हर्जाने की भारी राशि लादी गई। क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित करने के लिए आयोग का गठन किया गया जिसे 1 मई 1921 तक अपनी रिपोर्ट देनी थी।
- आयोग की रिपोर्ट प्रकाशित होने तक जर्मनी मित्र-राष्ट्रों को 5 अरब डॉलर की राशि देगा।
- जर्मनी के 1600 से अधिक टन वाले व्यापारिक जहाज छीन लिए गये।
- जर्मनी 10 वर्षों तक 70 लाख टन कोयला फ्रांस को, 80 लाख टन कोयला इंग्लैंड को और उतना ही कोयला बेल्जियम को देगा।
- जर्मन उपनिवेशों में लगी हुई उसकी पूँजी जब्त कर ली गई।
- मित्र-राष्ट्रों के क्षतिग्रस्त क्षेत्रों के पुनर्निर्माण हेतु जर्मनी पर्याप्त मात्रा में सीमेंट, कोयला, पत्थर, लकड़ी, चूना, मशीनें आदि सामग्री देगा।
4. अन्य व्यवस्थाएं
वर्साय की संधि की 231वीं धारा के अनुसार जर्मनी को युद्ध के लिए उत्तरदायी ठहराया गया। जर्मन-सम्राट विलियम द्वितीय पर मुकदमा नहीं चलाया जा सका क्योंकि उसने हालैंड में शरण प्राप्त कर ली थी। केवल 12 व्यक्तियों पर ही जर्मनी के न्यायालयों में मुकदमे चलाये जा सके और उनमें से कुछ को साधारण सजाएँ दी गई।
FAQs
1. Varsay Ki Sandhi Kab Hui?
Ans. 28 जून 1919
2. Paris Shanti Sammelan Kab Hua Tha?
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