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मौलिक अधिकार क्या है? - मौलिक अधिकारों की सूची (अनुच्छेद 12 से 35)

इस लेख में हम भारत के संविधान में प्रदत्त मौलिक/मूल/मूलभूत अधिकारों (Fundamental Rights) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हम जानेंगे की Maulik Adhikar Kise Kahate Hain? और Maulik Adhikar Kitne Hain? 

Maulik Adhikar Kya Hai

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Maulik Adhikar Kya Hai? - Fundamental Rights in Hindi

मौलिक अधिकार वे अधिकार है जो व्यक्ति की भौतिक और नैतिक उन्नति के लिए आवश्यक है और इन्हें संविधान द्वारा विशेष संरक्षण प्राप्त है। ये अधिकार देश में व्यवस्था बनाए रखने एवं राज्य के कठोर नियमों के खिलाफ नागरिकों की आजादी की सुरक्षा करते है। 


भारत के संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकारों का विवरण है। इस सम्बन्ध में संविधान निर्माता 'अमेरिकी संविधान' से प्रभावित रहे। 


मूल अधिकारों की पृष्ठभूमि  

  • ब्रिटिश सम्राट जॉन द्वारा 1215 ईस्वी में हस्ताक्षरित मैग्नाकार्टा मूल अधिकारों से संबंधित प्रथम लिखित दस्तावेज माने जाते हैं। ब्रिटेन में 1689 ईस्वी में लिखित Bill of Rights मूल अधिकारों के संबंध में प्रमुख दस्तावेज है। 
  • अमेरिका के मूल संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख नहीं था। 1791 ईस्वी में संविधान में संशोधन कर Bill of Rights को जोड़ा गया। 
  • भारत में सर्वप्रथम मूल अधिकारों की मांग 1895 के संविधान विधेयक में की गई। नेहरू रिपोर्ट में भी मूल अधिकारों की बात की गई थी। 
  • 1927 ईस्वी में कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन तथा 1930 ई. के कराची अधिवेशन में मूल अधिकारों के संबंध में प्रस्ताव पास किया गया।
  • संविधान सभा द्वारा संविधान के भाग 3 में 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। 


भारत के संविधान में मौलिक/मूल अधिकार - Fundamental Rights in Indian Constitution in Hindi 

भारत के मूल संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक नागरिकों को 7 मौलिक अधिकार प्रदान किए थे -

  1. समता का अधिकार - (अनुच्छेद 14 से 18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार - (अनुच्छेद 19 से 22) 
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार - (अनुच्छेद 23, 24) 
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार - (अनुच्छेद 25 से 28)
  5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार - (अनुच्छेद 29, 30) 
  6. संपत्ति का अधिकार - (अनुच्छेद 31) 
  7. संवैधानिक उपचारों का अधिकार - (अनुच्छेद 32)


हालांकि संपत्ति के अधिकार को 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा मूल अधिकारों की सूची से हटाकर, इसे संविधान के भाग 12 में अनुच्छेद 300 A के तहत संवैधानिक अधिकार बना दिया गया है। इस प्रकार वर्तमान में भारत के संविधान में 6 मूल अधिकार है। 

संविधान में मूल अधिकार मुख्यतः अनुच्छेद 14 से 32 तक है। वहीं अनुच्छेद 12, 13 व 33, 34, 35 में मूल अधिकारों से सम्बंधित प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। 


अनुच्छेद - 12 

अनुच्छेद 12 में भाग 3 के उद्देश्य के तहत 'राज्य' को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार राज्य में निम्नलिखित शामिल है -
  • कार्यकारी एवं विधायी अंगों को संघीय सरकार में क्रियान्वित करने वाली सरकार और भारत की संसद। 
  • राज्य सरकार के विधायी अंगों को प्रभावित करने वाली सरकार व राज्य विधानमंडल। 
  • सभी स्थानीय निकाय अर्थात नगरपालिका, पंचायत, जिला बोर्ड सुधार न्यास आदि। 
  • अन्य सभी निकाय अर्थात वैधानिक या गैर-संवैधानिक प्राधिकरण, जैसे - LIC, SAIL आदि। 

अनुच्छेद - 13 

अनुच्छेद 13 यह घोषित करता है की मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पिकरण करने वाली विधियां शून्य होगी। दूसरे शब्दों में यह न्यायिक समीक्षा योग्य है। 

यह शक्ति उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) को प्राप्त है। जो किसी विधि को मूल अधिकारों का उल्लंघन होने के आधार पर गैर-संवैधानिक या अवैध घोषित कर सकते हैं। 


1. समता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)

  • विधि की समक्ष समानता तथा विधियों का समान संरक्षण (अनुच्छेद 14) 
  • धर्म, मूल वंश, लिंग और जन्म स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  • लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता (अनुच्छेद 16) 
  • अस्पृश्यता का अंत और उसका आचरण निषेध (अनुच्छेद 17) 
  • सेना या विद्या संबंधी सम्मान की सिवाय सभी उपाधियां पर रोक (अनुच्छेद 18)


2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)

स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत 6 प्रकार की स्वतंत्रताओं को सुरक्षा प्रदान की गई है (अनुच्छेद 19) -

  1. वाक् एवं अभिव्यक्ति 
  2. सम्मेलन 
  3. संघ बनाने 
  4. आने-जाने 
  5. निवास 
  6. वृत्ति 


  • अपराधों के लिए दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20) 
  • प्राण व दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण (अनुच्छेद 21) 
  • प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार (अनुच्छेद 21क) 
  • कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण (अनुच्छेद 22) 


3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23, 24) 

  • बाल श्रम का प्रतिषेध (अनुच्छेद 23)
  • कारखानों आदि में बच्चों की नियोजन का प्रतिषेध (अनुच्छेद 24)


4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)

  • अंतःकरण की और धर्म को आबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25)
  • धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 26) 
  • किसी धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में स्वतंत्रता (अनुच्छेद 27) 
  • कुछ शिक्षा संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता (अनुच्छेद 28)


5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (29, 30)

  • अल्पसंख्यकों की भाषा, लिपि और संस्कृति की सुरक्षा (अनुच्छेद 29) 
  • शिक्षण संस्थानों की स्थापना व प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार (अनुच्छेद 30) 


6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) 

मूल अधिकारों को प्रवर्तित करने के लिए उच्चतम न्यायालय जाने का अधिकार। इसमें शामिल याचिकाएं हैं -

  • बंदी प्रत्यक्षीकरण 
  • परमादेश 
  • प्रतिषेध 
  • उत्प्रेषण 
  • अधिकार पृच्छा 


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