भारत का संविधान: निर्माण प्रक्रिया, संविधान सभा, प्रमुख समितियाँ, विषेशताएँ | Bharat Ka Samvidhan In Hindi
दोस्तों, आज के इस लेख में हम बात करने वाले है 'भारतीय संविधान' Bharat Ka Samvidhan In Hindi के बारे में। इस लेख में Bharat Ka Samvidhan In Hindi (Constitution of India in Hindi) के बारे में पूरे विस्तार से जानकारी दी गई है।
स्वतंत्रता के समय भारत केवल एक विशाल और विविधतापूर्ण ही नहीं बल्कि गहरे तौर पर बिखरा हुआ देश भी था। ऐसे में देश की एकजुटता और प्रगति के लिए एक विस्तृत, गहन विचार-विमर्श पर आधारित और सावधानीपूर्वक सूत्रबद्ध किया गया संविधान आवश्यक था। हमारे संविधान ने अतीत और वर्तमान के घावों पर मरहम लगाने का काम किया। विभिन्न वर्गों, जातियों व समुदाय में बंटे भारतीयों को एक साथ एकजुट किया। दूसरी और इस संविधान ने लंबे समय से चली आ रही ऊंच-नीच और अधीनता की संस्कृति में लोकतांत्रिक संस्थानाें को विकसित करने का भी प्रयास किया।
Table of Content
- भारतीय संविधान का संक्षिप्त परिचय - Bharat Ka Samvidhan In Hindi
- संविधान सभा का एक संक्षिप्त परिचय
- संविधान सभा का निर्माण - Samvidhan Sabha Ka Nirman
- संविधान की प्रस्तावना - Preamble of Indian Constitution in Hindi
- संविधान सभा की कार्यप्रणाली - Samvidhan Sabha Ki Karyapranali
- संविधान सभा की प्रमुख समितियां एवं उनके अध्यक्षों की सूची
- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं - Salient Features of Indian Constitution in Hindi
- भारतीय संविधान सभा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य एवं तिथियां
भारतीय संविधान का संक्षिप्त परिचय - Bharat Ka Samvidhan In Hindi
लागू हुआ | 26 जनवरी 1950 |
तैयार करने में लगा समय | 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन |
अनुच्छेद | 395 अनुच्छेद |
भाग | 22 भाग |
अनुसूचियाँ | 8 अनुसूचियाँ |
भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा और लिखित संविधान है। भारतीय संविधान में संघात्मक और एकात्मक व्यवस्था का मिश्रण है। भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है, इसमें सर्वोच्च व स्वतंत्र न्यायपालिका का प्रावधान किया गया है तथा इसमें केंद्र व राज्यों के मध्य शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया गया है।
संविधान सभा का एक संक्षिप्त परिचय
स्थापना | 6 दिसंबर 1946 |
भंग | 24 जनवरी 1950 |
अध्यक्ष | डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
उपाध्यक्ष | हरेंद्र कुमार मुखर्जी, टी.टी. कृष्णमाचारी |
अस्थाई अध्यक्ष | सच्चिदानंद सिन्हा |
प्रारूप समिति के अध्यक्ष | डॉ. बी. आर. अंबेडकर |
संवैधानिक सलाहकार | बीएन राव |
संविधान सभा का निर्माण - Samvidhan Sabha Ka Nirman
संविधान सभा के गठन का विचार 1934 में पहली बार एम. एन. रॉय ने रखा। रॉय भारत में वामपंथी आंदोलन के प्रमुख नेता थे। 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की।
1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी हुई संविधान सभा द्वारा किया जाएगा। इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा। अंग्रेजों से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने।
संविधान सभा के निर्माण के समय कुल सदस्य 389 थे किन्तु भारत के विभाजन के बाद भारतीय संविधान सभा में 299 सदस्य थे। डॉ राजेन्द्र प्रसाद, भीमराव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि संविधान सभा के प्रमुख सदस्य थे। सच्चिदानन्द सिन्हा इस सभा के प्रथम सभापति थे किन्तु बाद में डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया। भीमराव अंबेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया था। संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11माह, 18 दिन में कुल 165 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी।
संविधान की प्रस्तावना - Preamble of Indian Constitution in Hindi
संविधान की प्रस्तावना को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा बनाया और पेश किया गया था। भारत का संविधान, संविधान सभा द्वारा अपनाए गए उद्देश्य प्रस्ताव/प्रस्तावना पर आधारित है।
प्रस्तावना को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा संशोधित कर इसमें समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और अखंडता शब्द सम्मिलित किए।
प्रस्तावना के 4 मूल तत्व
(ii) भारत की प्रकृति - यह घोषणा करती है कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक व गणतांत्रिक राजव्यवस्था वाला देश है।
(iii) संविधान के उद्देश्य - इसके अनुसार न्याय, स्वतंत्रता, समता व बंधुत्व संविधान के उद्देश्य है।
(iv) संविधान लागू होने की तिथि - 26 नवंबर 1949
प्रस्तावना के मुख्य शब्द
संप्रभुता, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य, न्याय, स्वतंत्रता, समता व बंधुत्व।
प्रस्तावना का महत्व
प्रस्तावना को 'संविधान की आत्मा' कहा जाता है। यह संविधान की कुंजी है और संविधान को पूर्ण करती हैं।
संविधान सभा की कार्यप्रणाली - Samvidhan Sabha Ki Karyapranali
नवंबर 1946 में संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के तहत हुआ था। 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक हुई, जिसका मुस्लिम लीग ने बहिष्कार किया और अलग पाकिस्तान की मांग पर जोर दिया। संविधान सभा की पहली बैठक में केवल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। डॉ. एच.सी. मुखर्जी तथा टी.टी. कृष्णमाचारी सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए।
संविधान सभा की प्रमुख समितियां एवं उनके अध्यक्षों की सूची
समितियां | अध्यक्ष |
नियम समिति | डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
संघ शक्ति समिति | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
संघ संविधान समिति | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
प्रांतीय संविधान समिति | सरदार वल्लभभाई पटेल |
संचालन समिति | डॉ. राजेंद्र प्रसाद |
प्रारूप समिति | डॉ. भीमराव अंबेडकर |
झंडा समिति | जे. बी. कृपलानी |
राज्य समिति | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
परामर्श समिति | सरदार वल्लभभाई पटेल |
सर्वोच्च न्यायालय समिति | एस. वारदाचारियार |
मूल अधिकार उपसमिति | जे. बी. कृपलानी |
अल्पसंख्यक उपसमिति | एच. सी. मुखर्जी |
संविधान समीक्षा आयोग | एम एन वेंकटचलैया |
प्रारूप समिति
संविधान सभा की सभी समितियों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण समिति प्रारूप समिति थी। इसका गठन 19 अगस्त 1947 को हुआ था। इस समिति को नए संविधान का प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसमें कुल सदस्यों की संख्या सात थी।
प्रारूप समिति के सदस्य
- डॉ. भीमराव अंबेडकर (अध्यक्ष)
- एन गोपालस्वामी आयंगर
- अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर
- डॉक्टर के. एम. मुंशी
- सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
- एन. माधव राव
- टी.टी. कृष्णामचारी
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं - Salient Features of Indian Constitution in Hindi
- सबसे लंबा और लिखित है।
- विभिन्न स्रोतों से विहित
- नम्यता एवं अनम्यता का समन्वय (कठोर और लचीला)
- एकात्मकता और संघीय व्यवस्था का मिश्रण
- सरकार का संसदीय रूप
- संसदीय संप्रभुता एवं न्यायिक सर्वोच्चता
- एकीकृत वे स्वतंत्र न्यायपालिका
- मौलिक अधिकार
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
- एक धर्मनिरपेक्ष राज्य
- सार्वभौम वयस्क मताधिकार
- एकल नागरिकता
- स्वतंत्र निकाय
- आपातकालीन प्रावधान
- त्रिस्तरीय सरकार
- सहकारी समितियां
- मौलिक कर्तव्य
भारतीय संविधान सभा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य एवं तिथियां:
- 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सभा में 'उद्देश्य प्रस्ताव' पेश किया। इस प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को स्वीकार किया गया। इस प्रस्ताव ने संविधान के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया।
- 3 जून 1947 को भारत के बंटवारे के लिए माउंटबेटन योजना पेश की गई।
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने सभा में 4 नवंबर 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया और इस दिन संविधान को पहली बार पढ़ा गया।
- संविधान पर दूसरी चर्चा 15 नवंबर 1948 से शुरू हुई तथा 17 अक्टूबर 1949 तक चली। इस अवधि में कम से कम 7,653 संशोधन प्रस्ताव आए, जिनमें से वास्तव में 2,473 पर ही सभा में चर्चा हुई।
- संविधान पर तीसरी बार विचार 14 नवंबर 1949 से होना शुरू हुआ। डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने (द कॉन्स्टिट्यूशन एज सेटल्ड बाई द असेंबली बी पास्ड) प्रस्ताव पेश किया।
- संविधान के प्रारूप पर पेश इस प्रस्ताव को 26 नवंबर 1949 को पारित किया गया। सभा के कुल 299 सदस्यों में से 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किए।
- 26 नवंबर 1949 को अपनाए गए संविधान में 1 प्रस्तावना, 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी। मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया।
- 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
- 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान को अपनाया।
- 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया।
- 24 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया।
- 2 साल 11 महीने और 18 दिनों में संविधान सभा की कुल 11 बैठक हुई। संविधान निर्माताओं ने लगभग 60 देशों के संविधान का अवलोकन किया और इसके प्रारूप पर 114 दिन तक विचार किया गया।
- संविधान के निर्माण में कुल 64 लाख का खर्च आया।
- सम्पूर्ण संविधान 251 पेजों का है।
- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई।
- प्रेम बिहारी नारायण रायजादा भारतीय संविधान के सुलेखक थे। मूल संविधान उनके द्वारा प्रवाहित इटैलिक शैली में हस्तलिखित है।
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